कड़ै गऐ बचपन के मित्र,

पाटी कच्छी टुटे लित्र ।

भैसैया गेल्यां गऐ जोहड पै,

काढ़ी कच्छी बडगे भित्तर ।

माचिस के ताश बणाया करदे,

नहर पै खेलण जाया करदे ।

घर तै लुकमा बेच कै दाणे,

खा गे खुरमे खिल मखाणे ।

मिश्री तै मिठे होया करदे,

खिल्लां तै फ़िक्के होगे….

वे यार पुराणे रै…

बेरा ना कित्त खोगे।

पकड लिये फेर स्कूल के रस्ते,

हाथ मै तख्ती काँख मैं बस्ते ।

गरमी गई फेर आ गया पाला,

एक दिन नहा लिऐ एक दिन टाला ।

पैंट ओर बुरसट मिलगी ताजी,

एक दो दिन गए राजी राजी ।

हाथ जोड फेर रोवण लागे,

आज आज घर पै रहण दैयो मां जी ।

आखयां मै आंसु आए ना…

हाम्म थुक लगा कै रोगे ।

वे यार पुराणे रै…

बेरा ना कित्त खोगे ।

कॉलेज मै फेर होग्या एडमिशन,

बाहर जाण की थी परमिशन ।

रोडवेज मै जाया करदे,

नकली पास कटाया करदे ।

बीस रुप्पली करकै कट्ठी,

ले लिया करदे चा और मट्ठी ।

स्पलैंडर पै मारे गेडे,

सैट करली थी दो दो पट्ठी ।

मास्टर पाठ पठाया करदा,

आंख मिच कै सोगे ।

वे यार पुराणे रै…

बेरा ना कित्त खौगे ।

वक्त गेल गऐ बदल नजारे,

बिखर गऐ सब न्यारे न्यारे ।

घरां पडया;कोए करै नौकरी,

घरक्यां नै करी पसंद छोकरी ।

शादी करली बणगे पापा,

कापी छोडी लिया लफाफा ।

रोऐ जा सै दिल मरज्याणा,

भुल गऐ क्यु टैम पुराणा ।

“saare balak” याद करै..

क्यु बीज बिघन के बो गे रै ।

वे यार पुराणे रै,

बेरा ना कित्त खोगे….


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *