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पहले मुट्ठी भर सिंदूर होता था
फिर चुटकी भर हुआ,
और आजकल की भाभियाँ इंजेक्शन से
सिंदूर लगा के निकलती हैं,
साला पति के अलावा किसी को न दिखे

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*खामोशी से बनाते रहो पहचान अपनी..*

*हवाएँ ख़ुद गुनगुनाएगी नाम तुम्हारा..!!*

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एक आदमी किसी कॉलेज के टॉयलेट में गया..
अंदर टॉयलेट सीट पर बैठा तो देखा सामने दिवार पर लिखा हुआ था-
.
“इतना जोर अगर पढ़ाई में लगाता तो आज किसी अच्छी सीट पर बैठा होता !”

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“भैया दूध में इतनी मिलावट करते हो कुछ तो भगवान से डरो”…..
दूधवाला – मिलावट की बात आप तो करो ही मत भैनजी।
अपनी फेसबुक वाली डीपी देखो और अभी अपनी शक्ल आईने में देखो..
भगवान क्या खुद से डर जाओगी।
शुक्र मनाओ हम कमेन्ट नहीं किये हैं उस पर
लाओ चुपचाप भगौना दो….

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ये काजल, ये खुली-खुली जुल्फें ,
तुम यूँ ही जान माँग लेती इतना इंतजाम क्यूँ किया

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वो आईने को भी हैरत में डाल देता है ….
किसी किसी को खुदा ये कमाल देता है

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एक तरफ आँखें है जिनमें नीदें भरी है…

दूजी पलकें है जो इंतजार की जिद पे अडी है

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वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’ “अपने मतलब” के लिये,
और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था !

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एक शराब की दुकान मे लिखी कुछ सच्ची लाईन’;
“तुम किसी लडकी से सच्चा प्यार करते हो तो,”
“तुमहे एक दिन मुझसे भी प्यार हो जायेगा.

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खूबियाँ इतनी तो नही हम में कि
तुम्हे कभी याद आएँगे पर
इतना तो ऐतबार है हमे खुद पर,
आप हमे कभी भूल नही पाएँगे

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शुक्र है हँसी बाजार में नहीं बिकती साहब,
वरना लोग गरीबों से यह भी छीन लेते

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छोटू: यार लड़की को प्रपोस करने के लिये सेफ जगह बता,
मोटू: मंदिर,
छोटू: क्यों ?????
मोटू: वहां लड़की के पाँव में चप्पल नहीं होती….

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माडर्न भिखारी 😂
भिखारी ने एक घर में आवाज लगाई!
भिखारी: माई कुछ दे दे!!!
अंदर से एक महिला चिल्लाते हुए निकली 😈
महिला : दिखते तो हट्टे-कट्टे हो, भीख मांगते शर्म नहीं आती। 😤😤😬😁
भिखारी : बहन जी दिखती तो आप भी दीपिका पादुकोण और कटरीना कैफ जैसी सुंदर हो लेकिन गृहणीं बन के रह गयीं हैं। 😉😉
महिला : रूक, पिज्जा मंगवाती हुॅ तेरे लिए जाना मत।

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टीचर बोर्ड पर लिख रही थी..
पप्पू: मैडम, आपका व्हिस्पर निचे गिर गया।
टीचर ने घबरा कर निचे देखा और कहा,
हरामजादे इसे डस्टर कहते है !!

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मेरा एक दोस्त मुझे बता रहा था कि कल उसने बहुत अलग सा सपना देखा !
मैंने उत्सुकता से पूंछा :- ” ऐसा क्या अलग था भाई तेरे सपने में ? ”
दोस्त बताने लगा :- ” कल सुबह-सुबह मुझे सपने में “5” नंबर दिखा, जो सोने से बना हुआ था और उसमें हीरे जडे़ हुए थे और वो बेइंतहा चमक रहा था ! ये देखने के बाद मेरी नींद खुल गई और मैं समझ गया कि सुबह-सुबह दिखे इस सपने का जरुर कोई खास अर्थ होगा !
मैंने अखबार उठाया और सीधे उसका 5 नंबर पेज खोला तो पाया कि उसमें रेसकोर्स में होने वाली आज की रेस के बारे में खबर थी जिसमें एक खास नस्ल का घोडा़ जिसका नाम “गोल्डन-5″ था , भाग लेने वाला था ! मेरे दिमाग में मेरा सपना कौंधा और मुझे लगने लगा कि ये 5 नंबर आज मेरे लिये कुछ खास मायने रखता है !”
मेरी उत्सुकता बढी़ और मैंने उससे पूंछा :- ” फिर क्या हुआ भाई !! ”
उसने आगे बताना शुरु किया :- ” इसके बाद मैंने 5 मिनिट
में ब्रश किया, 5 मिनिट में नहाया, नाश्ते में 5 सैंडबिच खाई और 5 कप काफी पी और 5 नंबर की बस पकड़कर सीधा रेसकोर्स पहुंचा ! वहां भी मैंने 5 नंबर वाली खिड़की पे जाकर उस “गोल्डन-5″ नाम के घोडे़ पर 55,555 रुपये लगाये और पांच नंबर गेट से रेसकोर्स के अंदर पहुंचा ! वहां मैंने बैठने के लिये ऐसी कुर्सी चुनी जिसमें मेरे दोनो तरफ पांच-पांच लोग थे ! ”
अब मेरी उत्सुकता चरम पर थी, सो मैंने पूंछा :- ” फिर क्या हुआ , तेरा घोड़ा रेस जीता ?? ”
दोस्त :- ” कहां यार ! वो साला पांचवे नंबर पे आया !! “

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धयान से पढ़ना आँखों में पानी आ जाएगा.
बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..
इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया
मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा …
जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है …..
आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था …. जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे …
मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ….
पता तो चले कितना माल छुपाया है …..
माँ से भी …
इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..
जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ….
मैंने जूता निकाल कर देखा …..
मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था …
जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था ..
और मुझे जाना ही था घर छोड़कर …
जैसे ही कुछ दूर चला ….
मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ….
पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था …..
जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी …..
मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ….
मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था..
लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए
पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?
दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था
उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ……
ओह….अच्छे जुते पहनना ???
पर उनके जुते तो ………..!!!!
माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो …
और वे हर बार कहते “अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे ..”
मैं अब समझा कितने चलेंगे
……तीसरी पर्ची ……….
पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये …
पढ़ते ही दिमाग घूम गया…..
पापा का स्कूटर ………….
ओह्ह्ह्ह
मैं घर की और भागा……..
अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ….
मैं घर पहुंचा …..
न पापा थे न स्कूटर …………..
ओह्ह्ह नही
मैं समझ गया कहाँ गए ….
मैं दौड़ा …..
और
एजेंसी पर पहुंचा……
पापा वहीँ थे ……………
मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया ..
…..नहीं…पापा नहीं…….. मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल…
बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है..
वो भी आपके तरीके से …।।

“माँ” एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है…
और
“पापा” एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है…
Always Love Your Parents

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