बीवी के कितनी बार आंख दिखाने पर
मोबाइल साइड में रख देना चाहिए….
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एक मासूम सवाल…
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एक आदमी (दूसरे से) – दोस्त ‘एशियन पेंट्स’ होते है, जो दुनिया बदल दे…
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गर्लफ्रेंड ‘एवरेस्ट मसाला’ की तरह टेस्ट में बेस्ट होती है…
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पहला कुछ और बोल पाता, उससे पहले ही…
दूसरे ने कहा – …और पत्नी ‘मच्छर की क्वॉइल’ की तरह होती है, जो कोने-कोने से ढूंढ-ढूंढ के मारती है।
पत्नी मस्ती के मूड में (पति से) बोली – मैंने सुना है कि स्वर्ग में
पति-पत्नी को साथ में रहने नहीं देते…।
पति : अरे पगली, तभी तो उसे स्वर्ग कहते है…।
एक खां साहब को खाने के बाद उंगलियां चाटने की बहुत आदत थी।
एक बार एक दावत में खाने के बाद उन्होंने उंगलियां चाटनी शुरू कर दीं।
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बाजू वाले साहब ने भी अपना हाथ आगे करके कहा- ‘जरा इसे भी साफ कर दीजिए।’
मैं इसलिए वहम नहीं पालता
🤔🤔
क्योंकि इतनी महंगाई में
खुद को पालना भी बहुत मुश्किल हो रहा है।
मैं इसलिए वहम नहीं पालता
🤔🤔
क्योंकि इतनी महंगाई में
खुद को पालना भी बहुत मुश्किल हो रहा है।
आज A.C. बस से आ रहा था।
मेरे बाजू वाली सीट पर एक युवक और एक युवती बैठे थे।
दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी थे।
थोड़े समय बाद वे आपस में बातें करने लगे।
बातचीत उस मुकाम तक पहुँची जहाँ मोबाइल नंबर का आदान प्रदान होता है।
लड़के का मोबाइल किसी वजह से ऑफ था।
तो उसने अपनी जेब से एक कागज निकाला,
लेकिन लिखने के लिए उसके पास पेन नहीं था।
बाजू की सीट पर बैठे हुए मेरा सारा ध्यान उन्हीं दोनों की तरफ था।
मैं समझ गया कि लड़की का मोबाइल नंबर लिखने के लिए लड़के को पेन की जरूरत है।
उसने बड़ी आशा से मेरी तरफ देखा…
मैंने अपनी शर्ट के ऊपरी जेब में लगा अपना पेन निकाला
और..
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चलती हुई बस से बाहर फेंक दिया।
और मन में मोदी जी के शब्द याद किये कि ..
*ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा*.
ऑफिस के बिजी शेड्यूल और थकान के उपरांत एक महिला मेट्रो में चढ़ी और अपनी सीट ग्रहण कर अपनी आंखें बंद करके थोड़ा मानसिक आराम कर तनाव दूर कर रही थी….
जैसे ही ट्रेन स्टेशन से आगे बढ़ी, एक भाई साहब जो कि महिला के बगल में बैठे थे, अपना मोबाइल निकाला और जोर जोर से बातें करने लगा।
भाई का संवाद इस प्रकार था…
“जानेमन मैं विजय बोल रहा हूँ और मेट्रो पकड़ ली है……
हाँ मुझे पता है कि अभी सात बजे है पांच नहीं, मैं मीटिंग में व्यस्त हो गया था इसलिए देर हो गई।
“नहीं जानेमन, मैं एकाउन्टेंट प्रीति के साथ नहीं था, मैं बॉस के साथ मीटिंग में था”
“नहीं जान, केवल तुम अकेली ही मेरे जीवन मे हो”
“हाँ पक्का कसम से”….
पन्द्रह मिनट बाद भी जब विजय भाई जोर जोर से वार्तालाप जारी किए हुए थे, तब वह महिला जो कि परेशान हो चुकी थी फोन के पास जाकर जोर से बोली…
“विजय डार्लिंग फ़ोन बंद करो बहुत हो चुका अब तुम्हारी प्रीती और इंतजार नहीं कर सकती….!
*अब भाई साहब अस्पताल से वापिस आ चुके है और उन्होंने सार्वजनिक स्थान पर मोबाइल का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया है।
माना कि बेरोजगार हूं मैं….
पर इतनी निठल्ला भी नही कि
😑😑
JCB से खुदती हुई मिट्टी को
देखने चला जाऊं
छोरी :- हम भाग कर शादी करेंगे…!!
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छोरा :- रै पागल,
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टैंट की रजाई और भागी हुई लुगाई
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किसी की नहीं
होती.
एक रात थोड़ी लेट होकर घर लौट रही थी 😟 .
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अचानक दो लड़कों ने रास्ता रोका 😳😳
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छेड़छाड़ के लहजे में बोले इतनी रात को और वो भी अकेले डर नहीं लगता ।
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मैं सिर्फ़ इतना ही बोली ” भैया, जब ज़िन्दा थी, तो बहुत डरती थी “😜😜😜 मां क़सम, वो दोनों दिखे ही नहीं वापस
दो आलसी कंबल ओढ़ कर सो रहे थे ..
तभी एक चोर आया . . और कंबल लेकर भाग गया..
पहला आलसी पडे- पडे बोला पकडो – पकडो
दूसरा आलसी. ” रहने दे जब तकिया लेने आएगा तब पकड़ लैगे..
लड़की – मुझे Jio का सिम दिला दो ना
लड़का – अरे दो चार दिन रुक जा
लड़की – क्यों
लड़का – बाबा रामदेव भी अपना सिम
निकालने वाले हैं
लड़की – उसमें क्या मिलेगा
लड़का – उसमें डाटा के साथ साथ आटा भी फ्री मिलेगा
महिला: डॉक्टर साहब, मेरे पति नींद में बातें करने लगे हैं। क्या करूं?
डॉक्टर: उन्हें दिन में बोलने का मौका दीजिए।
😜😝😜😝😜😝
लड़की ख़ुशी से उछलते हुए घर में आयी,
लड़की – एक ख़ुशी की बात है?
माँ – क्या ?
लड़की – आज एक लड़के ने मुझे किस किया?
माँ – क्या ?.अभी से ऐसी हरकतें करती है?
लड़की – सॉरी मम्मा
माँ – ठीक है, आगे से ध्यान रखना,
लड़की – माँ मैं आगे से तो पूरा ध्यान रखती हूँ वो पीछे से आके किस करता है!!
*बृद्धाश्रम* ऐक बार ऐक बुजुर्ग की तबियत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा।
पता लगा कि उन्हें कोई गम्भीर बीमारी है हालांकि ये छूत की बीमारी नही है, पर फिर भी इनका बहुत ध्यान रखना पड़ेगा।
कुछ समय बाद वो घर आए। पूरे समय के लिए नौकर और नर्स रख लिए गए।
धीरे-धीरे पोतों ने कमरे में आना बंद कर दिया। बेटा-बहू भी ज्यादातर अपने कमरे में रहते।
बुजुर्ग को अच्छा नहीं लगता था लेकिन कुछ कहते नही थे।
ऐक दिन वो कमरे के बाहर टहल रहे थे तभी उनके बेटे-बहू की आवाज़ आई।
बहू कह रही थी कि पिताजी को किसी वृद्धाश्रम या किसी अस्पताल के प्राइवेट कमरे एडमिट करा दें कहीं बच्चे भी बीमार न हो जाए,
बेटे ने कहा कह तो तुम ठीक रही हो , आज ही पिताजी से बात करूंगा!
पिता चुपचाप अपने कमरे में लौटा,
सुनकर दुख तो बहुत हुआ पर उन्होंने मन ही मन कुछ सोच लिया।
शाम जब बेटा कमरे में आया तो पिताजी बोले अरे मैं तुम्हें ही याद कर रहा था कुछ बात करनी है।
बेटा बोला पिताजी मुझे भी आपसे कुछ बात करनी है।आप बताओ क्या बात हैं
पिताजी बोले तुम्हें तो पता ही है कि मेरी तबियत ठीक नहीं रहती, इसलिए अब मै चाहता हूं कि मैं अपना बचा जीवन मेरे जैसे बीमार, असहाय , बेसहारा बुजुर्गों के साथ बिताऊं।
सुनते ही बेटा मन ही मन खुश हो गया कि उसे तो कहने की जरूरत नहीं पड़ी। पर दिखावे के लिए उसने कहा, ये क्या कह रहे हो पिताजी आपको यहां रहने में क्या दिक्कत है?
तब बुजुर्ग बोले नही बेटे, मुझे यहां रहने में कोई तकलीफ नहीं लेकिन यह कहने में मुझे तकलीफ हो रही है कि तुम अब अपने रहने की व्यवस्था कहीं और कर लो, मैने निश्चय कर लिया है कि मै इस बंगले को *वृद्धाश्रम* बनाऊंगा ।
और असहाय और बेसहारों की देखरेख करते हुए अपना जीवन व्यतीत करूंगा। अरे हाँ तुम भी कुछ कहना चाहते थे बताओ क्या बात थी…!!!!
कमरे में चुप्पी छा गई थी…
*कभी-कभी जीवन में सख्त कदम उठाने की जरूरत होती है