मेरी हर एक अदा में छुपी थी मेरी तमन्ना,
तुम महसूस ना कर सके ये और बात है…
इक बात बेखौफ मुझसे कहता है आईना ,
कभी आदमी अच्छे हुआ करते थे तुम भी …..
इतना सितम से पहले सोचा भी नहीं उसने,
मैं सिर्फ दीवाना नहीं.. इंसान भी था
बहुत भीड़ हो गयी है तेरे दिल में,
अच्छा हुआ हम वक़्त पर निकल गए
हजारों अश्क़ मेरी आँखों की हिरासत में थे,
फिर उसकी याद आई और इन्हें जमानत मिल गई
हमदर्दीयों की भीख सी देने लगे हैं लोग ,,
यूँ अपने दिल का हाल ना सबसे कहा करो
इश्क के तोहफे, तुम क्या जानो सनम,
तुमने तो इश्क भी ऐसे किया, जैसे ख़रीदा हो
ना कर शक मेरी मोहब्बत पर ऐ पगली…. .
अगर सबूत देने पर आया तो तू बदना हो जायेगी…
ना कर शक मेरी मोहब्बत पर ऐ पगली…. .
अगर सबूत देने पर आया तो तू बदना हो जायेगी…
बहुत दिन हो गए ‘मुहब्बत’ लफ्ज़ सुन सुनकर मुझे….
कल ‘बेवफ़ा’ सुना तो तरी बहुत याद आई मुझे….
अगर बेवफाओं की अलग ही दुनिया होती तो,
मेरे वाली…कमीनी…वहाँ की रानी होती
दुनिया में सिर्फ दिल ही है जो बिना आराम किये काम करता है….
इसलिए उसे खुश रखो…..चाहे वो…….. अपना हो या अपनों का…
गरीबों की बस्ती में ज़रा जा कर देखो…
बच्चे भूखे तो मिलेंगे पर उदास नही…!!
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता हे
नींद छीन रखी है उसकी यादो ने मेरी,
गिला उसकी दूरी से करूँ या अपनी चाहत से
सबर कर बन्दे मुसीबत के दिन भी गुज़र जायेंगे,
हसी उड़ाने वालो के भी चेहरे उतर जायेंगे…