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जब लड़कियाँ बॉयफ्रेंड या पति के साथ शॉपिंग करती है,

तो अपना “ठीक ठीक लगा लो भईया” वाला डॉयलाग भूल क्यों जाती है



जनता जिसे चुनती है वो ‘ संसद ‘ में बैठते है
और
भगवान जिसे चुनते है वो ” सत्संग ” मे बैठते है।

हमें तो ना जनता ने चुना है ना भगवान ने,
सो
WhatsApp/Telegram पे ही बैठे है ।

जिंदगी बहुत छोटी सी है मित्रों….

इसे रुठे हुये सनम को मनाने में बर्बाद ना करें..!

😎

मेरी सलाह है नया सनम ढूंढ लो..!!

सुनो रे…

उसको मेरी याद तब आयी…🤔

जब चमत्कार वाले मैसेज के लिए 11 लोग कम पड़ गये…


तुझे किसी और के साथ देखने से पहले खुदा करे सांसे रुक जाए.. 😔

*

*

मेरी नही तेरी ..💃😝😜
मज़े तू करे और मरूँ मैं

“हसबैंड गुस्से में : क्या तुमने मुझे कुत्ता कहा ?
पत्नी : चुप।
हसबैंड:क्या तुमने मुझे कुत्ता कहा ?
पत्नी : चुप।
हसबैंड:क्या तुमने मुझे कुत्ता कहा ?
पत्नी : नही कहा। प्लीज़ ,अब भौकना बंद करो जी !!!”


ਟੀਚਰ – ਤੁਹਾਡੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਉਮਰ ਕਿੰਨੀ ਹੈ ?
ਪੱਪੂ – 6 ਸਾਲ
ਟੀਚਰ – ਕੀ ? ਇਹ ਕਿਵੇਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ?
ਪੱਪੂ – ਉਹ ਉਦੋਂ ਹੀ ਪਿਤਾ ਬਣੇ ਜਦੋਂ ਮੇਰਾ ਜਨਮ ਹੋਇਆ ਸੀ


ਜੇ ਸਰਕਾਰ ਸੜਕਾਂ ਨਹੀਂ ਬਣਾ ਸਕਦੀ ਤਾਂ
ਇੱਕ ਬੇਨਤੀ ਆ ਕੇ ਹਰ ਸੜਕ ਤੇ ਬੋਰਡ
ਲਗਾ ਦਿਓ ਅੱਗੇ ਟੋਏ ਹਨ , ਹੋਲੀ ਚੱਲੋ

ਜਿਸਨੂੰ ਨਹੀਂ ਪਤਾ ਸਾਰੇ ਪਾਸੇ JCB ਹੀ JCB ਕਿਉਂ ਹੋਈ ਪਈ ਆ ਤਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਦੱਸ ਦਈਏ
ਹੈਦਰਾਬਾਦ ਦੇ ਇਕ MP ਨੇ ਵਿਵਾਦਿਤ ਭਾਸ਼ਣ ਚ ਕਹਿ ਦਿੱਤਾ ਕੇ
ਅੱਜ ਬੇਰੋਜ਼ਗਾਰੀ ਏਨੀ ਜਿਆਦਾ ਵੱਧ ਚੁੱਕੀ ਆ ਕੇ ਕਿਤੇ ਜੇ JCB
ਨਾਲ ਖੁਦਾਈ ਵੀ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਸਨੂੰ. ਦੇਖਣ ਲਈ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਲੋਕ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਨੇ , ਬਸ ਇਸਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੀ JCB JCB ਹੋ ਗਈ , ਉੱਪਰੋਂ ਇੱਕ ਯੂ ਟਿਊਬ ਤੇ JCB ਨਾਲ ਖੁਦਾਈ ਵਾਲਾ ਵੀਡੀਓ ਜਿਸਨੂੰ 600 ਮਿਲੀਅਨ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਹੈ ਇਸ ਤੇ ਤੇਲ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ,

घरेलु उपचार ………….
अगर आप के दांत में कीड़ा लग जाए तो एक दो हफ्ते तक कुछ ना खाएं कीडा खुद भूख से मर जायेगा


अध्यापक ने कक्षा में पूछा:
सीनियर और जूनियर में क्या अंतर है?

केवल हमारे एडमिन ने हाथ खड़ा किया..

शिक्षक ने कहा: शाब्बास बीटा, बताओ?

एडमिन: सर, जो समुद्र के पास रहता हो वो सीनियर (see-near),
और जो चिड़ियाघर के पास रहता हो वो जूनियर (zoo-near)!


( मेरी ये पोस्ट फिर एक बार )

थोडा़ हटके …कोई समझे तो …।

गोहत्या पाप है यां नही … गोमांस खाना चाहिए या नहीं …?
है तो जानवर ही … जब दूसरे जानवरों को खा सकते हैं तो गाय क्यों नहीं …??

गाय जानवर है कोई शक नहीं … लेकिन गाय का पाचन तंत्र कैसा है ये समझें , सब प्राणी भोजन के जहरीले तत्वों का विसर्जन मल मुत्र से करते हैं और पौष्टिक तत्वों से उनका शरीर – मांस हड्डीयां खून आदि बनते हैं …।
गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अपने भोजन के पोष्टिक तत्वों को मल मूत्र में विसर्जीत करती है … और जहरीले पदार्थों से उसका शरीर बनता है … गाय खाना मना इसीलिए किया जाता है क्योंकी जहरिले पदार्थों से बना इसका मांस भी जहरीला होता है , और इसे यदि कोई इन्सान खाता है तो ये उसके शरीर और बुद्धी के लिए हानिकारक होता है …जबकि गाय का मुत्र और गोबर भी शुद्ध होता … इसे पीपल के वृक्ष के साथ भी जोड़ कर देख सकते हैं , जो दूसरे वृक्षों के विपरीत चौबिसों धन्टे हवा से कार्बनडाइआक्साईड सोख के आक्सिजन छोड़ता है इसलिए पीपल की लकड़ी जलाना वातावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है …।।
पुराने समय में शिक्षा की कमी के कारण सब चीजों को पाप और पुण्य से जोड़ दिया जाता था जो लोगों को जल्दी समझ आता था … लेकिन हिन्दू पुराणों में लिखी हर वो बात जिसे अन्धविश्वाश कहा जाता है सब का वैग्यानिक आधार है … इसलिए गोमांस पे लड़ने मरने की बजाए यदि तथ्यों से समझाया जाए तो मुझे नहीं लगता कोई गोमांस खाएगा … और ये हमारे तथाकथित धर्मरक्षक इस तरह से कभी नहीं समझाएंगे , क्योंकि इस मांस में उनकी रोटियां छिपी हैं …
तो … लड़ते रहो …।।।

बिस्किट बनाने वाली कंपनियो से हाथ जोड़ के प्रार्थना है कि पैकेट पर लिखें
कि बिस्किट चाय में कितनी डुबकी सह सकता है


चालीस पार करने के बाद बहुत तकलीफ होती है…
कुछ अच्छा नहीं लगता..
तीस पर थे तब कितना अच्छा लगता था.. कितना उत्साह था life में..
कभी भी कहीं भी जा सकते थे..अब बाहर निकलने का मन ही नहीं करता…
बीस पर थे तब तो बहार ही कुछ और थी.. कितना भी काम कर लो, थकते नहीं थे..
पर अब तो किसी काम में मन नहीं लगता…
45 पार में तो ना जाने क्या होगा सोचकर ही डर जाते हैं।
..
..

उम्र की बात नहीं, तापमान की बात है।

पत्नि सो रही थी, उसके पैरो के पास एक नागिन कुण्डली लगा के बैठी थी।

पति धीरे से बोला : डस ले…. डस ले….

नागिन बोली:
कमीने!
चरण स्पर्श करने आई हूँ।

गुरु हैं हमारी।😛

ਸਤਿਗੁਰੂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਲਈ ਵੈਰ ਨਹੀਂ, ਉਹ ਸਭ ਥਾਈਂ ਇਕ ਪ੍ਰਭੂ ਨੂੰ ਵੇਖ ਰਿਹਾ ਹੈ (ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਵੈਰ ਕਿਸ ਦੇ ਨਾਲ ਕਰੇ? ਪਰ ਕਈ ਮੂਰਖ ਮਨੁੱਖ ਨਿਰਵੈਰ ਗੁਰੂ ਨਾਲ ਭੀ ਵੈਰ ਕਰਨੋਂ ਨਹੀਂ ਮੁੜਦੇ) ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਨਿਰਵੈਰਾਂ ਨਾਲ ਵੈਰ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਸ਼ਾਂਤੀ ਕਦੀ ਕਿਸੇ ਦੇ ਹਿਰਦੇ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਆਈ (ਭਾਵ, ਉਹ ਸਦਾ ਦੁਖੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ;)