फ़िक्र तो तेरी आज भी है.. बस .. जिक्र का हक नही रहा।
छोड़ भी दूँ तो कैसे, मै फ़्लर्ट करना… किसी की जान बसती है, फ़्लर्ट में मेरी.
पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी, डगमगाना भी ज़रूरी है संभलने के लिए।
एक मशविरा चाहिए, ख़ुदकुशी करूं या इश्क..
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी
~Tum Jo Kehte The Acha Haii Zamana Hum Se, Ye Batao K Mila Koi Hamarey Jaisa .. ?
Ladki hai wo, Alarm nahi Pyaar karo usse, set nahi.
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
! वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे.. ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं…..!!
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