फ़िक्र तो तेरी आज भी है.. बस .. जिक्र का हक नही रहा।
वो बड़े घर की थी साहब, . छोटे से दिल में कैसे रहती.
ज़िंदगी whats app के last seen जैसी है, सब को अपनी छिपानी है,दूसरो की देखनी है.
मैं परेशान था उसकी ख़ातिर, औऱ वो दिल पे हाथ थाम के बैठी थी !!
पुराने आशिक वफा तलाश करते थै, आज के आशिक जगह तलाश करते है..
तन्हाई की सरहदें और भीगी पलके….!! हम लुट जाते हैं, रोज तुम्हें याद करके….!
Ek tera noor hi kaafi h.. Sare jhaa ki roshni k liye
~Suno Tum Badl Gy Ho Kya Ya Tum Theyy Hi Aiise .. ‘
~Gar Tum Jo Saath Aa Gey Hote, Ziindagi Har Tarah Se Mumkin Thi .. ‘
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *