एक छोटी पेंसिल एक विशाल याद्दाश्त से कहीं बेहतर है
~Zyada Kuch Naii Badla Haiin Tere Mere Beech Mein, Pehle Nafrat Na Thi Ab Pyar Nahii Haii .. ‘
~Apni Galti’On Pe Parda Daal Kar, Har Shakhs Keh Raha Haii Zamana Khraab Haii . ‘
काग़ज़ पे तो अदालत चलती है.. हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी.
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वाले हम जो जिंदा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं
मै और मेरा रब्ब रोज भूल जाते है वह मेरे गुनाहो को मै उसकी रहमतो को
तन्हाई की सरहदें और भीगी पलके….!! हम लुट जाते हैं, रोज तुम्हें याद करके….!
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो, मुझे भी अपनी जिद्द बना लो.!!
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