Preet Singh Leave a comment मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है, ये कागज, कलम ये गजल आख़िरी है मैं फिर ना मिलूंग! कहीं ढूंढ लेना तेरे दर्द का ये असर आख़िरी है…!! Copy