मैं अपने हौसले को यक़ीनन बचाऊँगा..
घर से निकल पड़ा हूँ तो फिर दूर जाऊँगा…बादल को दे के दावतें इस फ़िक्र में हूँ मैं
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.
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तुने मेरी मोहब्बत कि इन्तेहां कभी देखी ही नही पगली.। . तेरा जरा सा आचंल भी सरके तो हम नजरे Continue Reading..
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*मेरी ख़ूबीयो पर तो……* यहाँ सब *खामोश* रहते हैं .. चर्चा मेरे *बुराई* पे हो तो…….. *गूँगे* भी *बोल* पड़ते Continue Reading..
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