Preet Singh Leave a comment मैं अपने हौसले को यक़ीनन बचाऊँगा.. घर से निकल पड़ा हूँ तो फिर दूर जाऊँगा…बादल को दे के दावतें इस फ़िक्र में हूँ मैं कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा. Copy