मैं अपने हौसले को यक़ीनन बचाऊँगा..
घर से निकल पड़ा हूँ तो फिर दूर जाऊँगा…बादल को दे के दावतें इस फ़िक्र में हूँ मैं
कागज़ के घर में उसको कहाँ पर बिठाऊँगा.
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एक दिन हम आपसे इतनी दूर हो जाएँगे, के आसमान के इन तारो मे कही खो जाएँगे, आज मेरी परवाह Continue Reading..
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दो गज से जरा ज़्यादा जगह देना कब्र में मुझे।।।।किसी की याद में करवट बदले बीना मुझे नीद नही आती
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