“मंजिल” भी उसकी थी.. “रास्ता” भी उसका था..
एक मैं “अकेला” थी बाकी “काफिला” भी उसका था..
.. 😐😐
साथ-साथ “चलने” की सोच भी उसकी थी..
फ़िर “रास्ता” बदलने का “फ़ैसला” भी उसका था..
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लम्हा लम्हा सांसें ख़त्म हो रही हैं, जिंदगी मौत के आगोश में सो रही है, उस बेवफा से न पूछो Continue Reading..
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