वो सज़दा ही क्या जिसमे ,
सर उठाने का होश रहे ,
इज़हारे इश्क़ का मज़ा तो तब है
जब मै खामोश रहूँ , और तू बैचेन रहे.


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *