एक ठरकी आशिक़ की कलम से :

वह जब भी आती है तो हम बारिश की दुआ करते हैं

क्योंकि सुना है वह गीले कपड़े तुरंत ही उतार देती है

अपने छत पे बंधी रस्सी से यारों।

नोट : अगर आप कुछ और सोच रहे हो तो आपकी सोच को एक बार फिर 21 तोपों की सलामी


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