Preet Singh Leave a comment एक ठरकी आशिक़ की कलम से : वह जब भी आती है तो हम बारिश की दुआ करते हैं क्योंकि सुना है वह गीले कपड़े तुरंत ही उतार देती है अपने छत पे बंधी रस्सी से यारों। नोट : अगर आप कुछ और सोच रहे हो तो आपकी सोच को एक बार फिर 21 तोपों की सलामी Copy