मुझे शराब की बोतल का
स्वभाव पसन्द आता है

जो खुद ‘खाली‘ होकर
दूसरो को ‘फुल‘ कर देती है!

इसी को निस्वार्थ सेवा कहते हैं !!

*- स्वामी पीयेकानन्द*


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