एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन जोश जोश में अपने गधे को घर की छत पर ले गए… जब नीचे उतारने लगे तो गधा नीचे उतर ही नहीं रहा था ।

बहुत कोशिश के बाद भी जब नाकाम हुए तो ख़ुद ही नीचे उतर गए और गधे के नीचे उतरने का इंतज़ार करने लगे ।

कुछ देर गुज़र जाने के बाद मुल्ला नसरुद्दीन ने महसूस किया कि गधा छत को लातों से तोड़ने को कोशिश कर रहा है मुल्ला नसरुद्दीन बहुत परेशान हुए कि छत तो नाज़ुक है, इतनी मज़बूत नहीं कि गधे की लातों को बर्दाश्त कर सके…

दोबारा ऊपर भागे और गधे को नीचे लाने की कोशिश की, लेकिन गधा अपनी ज़िद पर अटका हुआ था और छत को तोड़ने में लगा हुआ था।

मुल्ला आख़िरी कोशिश करते हुए उसे धक्के देकर नीचे लाने की कोशिश करने लगे तो गधे ने मुल्ला को लात मारी और वह नीचे गिर गए।

गधा फिर छत को तोड़ने लगा… आख़िरकार छत टूट गयी और गधे समेत ज़मीन पर आ गिरी ।

मुल्ला काफी देर तक इस वाक़ये पर ग़ौर करते रहे और फिर ख़ुद से कहा कि कभी भी गधे को ऊँचे मकाम पर नहीं ले जाना चाहिये एक तो वह ख़ुद का नुकसान करता है, दूसरा ख़ुद उस जगह को भी ख़राब करता है और तीसरा ऊपर ले जाने वाले को भी नुक़सान पहुँचाता है ।

मेरा खयाल है कि आप गधे को ऊँचे मुकाम‌ पे ले जाने की गलती नही करेंगे…

विशुद्ध गैरराजनैतिक पोस्ट,
समझ तो आप गए ही होंगे…


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