“”सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो !
लंगर छ्कना है तो, स्वाद मत देखो!
सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो!
बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो !


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