बहुत सौचकर आज खुद से ये सवाल किया मैने, . . ऐसा क्या है मुझमे के लोग मुझसे वफा नही करते… .
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कभी मुझको साथ लेकर, कभी मेरे साथ चलकर…! वो बदल गया अचानक, मेरी जिंदगी बदल कर…!!
जब सुकून नही मिलता दिखावे की बस्ती में… तब खो जाता हूँ मेरे महाकाल की मस्ती में…
हम तो फ़ना हो गए आपकी एक झलक देख कर।।। ना जाने रोज आईने पर किया गुजरती होगी।।।
सिर्फ एक ही तमन्ना रखते हैं हम अपने दिल में… बस महोब्बत से याद करो चाहे मुद्दतों न बात करो..
ये काजल, ये खुली-खुली जुल्फें , तुम यूँ ही जान माँग लेती इतना इंतजाम क्यूँ किया
यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है….. . …..चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे, वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है.. …