तकदीर इतनी भी बुरी नहीं थी, पर कुछ रिश्तों ने नरक बना दी जिंदगी को
बहुत शख्स मिले जो समझाते थे मुझे…. काश…कोई मुझे समझने वाला भी मिलता….
हम क्यों ग़म करें गर वो हमें ना मिले.. अरे ! ग़म तो वो करें जिसे हम ना मिले…
तेरी जुदाई का शिकवा करूँ भी तो किससे करूँ। यहाँ तो हर कोई अब भी मुझे तेरा समझता हैं…!!
दो चार नहीं…मुझे सिर्फ एक दिखा दो… वो शख्स…जो अन्दर भी बाहर जैसा हो… !
ज़िन्दगी में कई ऐसे लोग भी मिलते हैं जिन्हें हम पा नहीं सकते सिर्फ चाह सकते हैं.
मुझे नफरत पंसद है मगर, दिखावे का प्यार नही!!
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में, जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
वापिस लौट आया हवाओ का रुख मोड़ने वाला, दिल मे उतर रहा है फ़िर कमबख्त दिल तोड़ने वाला
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