राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की, मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो..!!
“मर्दाना कमजोरी” के इलाज पर रंगी हुई है शहरों की दीवारें… और लोग कहते हैं कि “औरतें कमज़ोर” हैं…
Yeh bhi acha hua shayed, ke usey paa na sake hum, Hamaara ho ke agar bicharrta to qayamat hoti..
Bhula dia hota use kab ka ae dost.. kaash ki usne kaha na hota ki mujhe kabhi bhul mat jana.
मेरा “मैं” हरपल “हम” में बदलता रहा… और तुम बे-परवाह “तुम” में ही रही…
पहचान ना पाया तेरी हकीक़त को वक्त रहते। ये मेरी मोहब्बत थी या तेरे झुठ बोलने का हुनर
एक से टूटा तो दूसरे से जोड़ लेते हैं, आजकल रिश्ते भी वाई फाई के नेटवर्क की तरह हैं.
अपनी मौत भी क्या मौत होगी ,, एक दिन यूँ ही मर जायेंगे तुम पर मरते मरते !!
सारी उम्र बस एक ही सबक* याद रखना, दोस्ती और “दुवा”* में बस नियत साफ़ रखना.
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