मेला लग जायेगा उस दिन शमशान मे,
जिस दिन मे चला जाँऊगा आसमान मे
मन्दिर मस्जिद सी थी मोहब्बत मेरी, बेपनाह इबादत थी फिर भी एक न हो सके
कौन कहता है कि मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते, रास्ते गवाह है बस गवाही नहीं देते.
कमाल की मोहब्बत थी उसको हमसे, अचानक ही शुरू हुई और बिन बतायें ही ख़त्म.
परेशानी का कोई पैमाना नही होता साहब| मै तो ये सोचकर भी परेशान हो जाती हूँ कि कमिटी(committee) की स्पेलिंग Continue Reading..
~Dhoka Deti Hai Masoom Chehron Ki Chamak Aksar, Har Kaanch K Tukray Ko Heera Nahi Kehte .. ^
जैसा भी हूँ अच्छा या बुरा अपने लिये हूँ, मै खुद को नहीं देखता औरो की नजर से !!
Meri khamoshi bahot kuch kehti hai Kaan laga kar nahin, Dil laga kar suno
बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे, बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.
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