मैं मानता हूँ खुद की गलतियां भी कम नहीं रही होंगी मगर बेकसूर उन्हें भी कहना मुनासिब नहीं
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-Tum Mere Baad Huye Tanha Aur Maiin Toh Tere Saath Bhi Akeli Thi .. ‘
एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया.. मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।
दीवार का कैलेंडर तो बदलता है हर साल, ए-ख़ुदा अब के बरस हालात भी तो बदल दे !!
खफा रहने का शौख भी पूरा कर लो लगता है तुम्हे हम ज़िंदा अच्छे नही लगते..
ज़िंदगी भर मौत के लिए दुआ करते रहे खुद से.. और जब जीना चाहा तो दुआ क़बूल हो गई…!!
लाख दिये जलाले अपनी गली मे.. मगर रोशनी तो हमारे आने से ही होगी.
Nazdeek Ho Kar Bhi Woh Itna Door Hai Mujh Sy, Ishara Ho Nahi Sakta, Pukara Ja Nahi Sakta..
जुबां कह न पाई मगर आँखे बोलती ही रही. कि मुझे सांसो से पहले तेरी जरूरत है.
