मैं मानता हूँ खुद की गलतियां भी कम नहीं रही होंगी मगर बेकसूर उन्हें भी कहना मुनासिब नहीं
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मोहब्बत का इजहार करके मेरे दर्द को बेघर ना कर… ताउम्र काटी है इसने मेरे सीने में रह कर…..।।।।”
~Tujhe Khabar Hai Tujhey Sochney Ki Khatir, Bohat Se Kaam Meiin Kal Par Chorr Detii Hoon .. ‘
एक तो सुकुन और एक तुम, कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही.
~Jiski Sazza Sirf Tum Ho Aiisa Koii Gunaah Karna Hai Mujhe .. ‘
-Kuch Es Tarah Se Naraaz Haii Woh Humse, Jaiise Unhe Kisii Aur Ne Mna Liiya Ho .. ‘
कौन कहता है कि दिल सिर्फ सीने में होता है उसको लिखूँ तो मेरी उंगलियाँ भी धड़कती है..!
बंध जाता है जब किसी से जब रूह का बंधन, तो इज़हार-ऐ-मोहब्बत को “अल्फ़ाज़ों” की ज़रूरत नहीं होती.
~Mil Jaye Ager Fursat Toh Parhna Zaroor Mujhe, Nakaam Zindagi Ki Mukammal Kitaab Hun Meiin .. ‘
