मोहब्बत हो या काला धन….. छुपाकर रखोगें तो नुकसान खुद का ही है..
शायद हम ने जिंदगी की कीमत को जाना ही नहीं, वरना किसी के लिए खुद को बर्बाद नहीं करते..
ऐ चाँद तू किस मजहब का है . ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
दर्द ए दिल की दवा के लिये,हम महफिल में आया करते है, दो घूंट बस पीते है,बाकी दिल जलाया करते Continue Reading..
तुम्हे फुरसत हो दुनियां से तो कभी आकर मिलना, हमारे पास सिवा फुरसत के और रह क्या गया है..
खामोशियाँ तेरे मेरे बीच…कितनी सच्ची लगती हैं… लफ्जों के धोखे से कहीं दूर…चुपके से हंसते हैं….
~ Meri Zindagii Ke Taliban Ho Tum Be’Maqsad Tabahi Macha Rakhii Haii ..’
पढ़ रहा हूँ मै इश्क़ की किताब ऐ दोस्तों…… ग़र बन गया वकील तो बेवफाओं की खैर नही – v
हम बने ही थे तबाह होने के लिए.. तेरा छोड़ जाना तो महज़ इक बहाना था.
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