“”कुछ तो रहम कर ए-संग दिल सनम, इतना तङपना तो लकीरों मे भी न था..
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ , और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा
बिछड़े थे किस गुरूर से वो भी तो याद कर, आए जो अब आँख में आँसू,फिज़ूल हैं…!!
चेहरे के रंग को देखकर दोस्त ना बनाना.. दोस्तों .. तन का काला तो चलेगा लेकिन मन का काला नहीं।
ना जाने क्यों मुझे लोग मतलबी कहते है एक तेरे सिवा दुनियां से मतलब नहीं मुझे।
सुनो, उसको बता देना की जो उस पर मरती थी न वो मर गयी है
अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दो, कोई शिकायत होगी भी तो कह नहीं पाउँगा..!!
Koi paband muhabbat hi bta skta hai ___ Ek deewany ka zanjeer se rishta kya
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने मुझे, अब ना किसी को खोने का डर, ना पाने की चाहत।
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