हम सा काहिल न मिलेगा कहीं खुद ख्वाहिशें हमसे तंग सजन
सारी उम्र जिस घर को सजाने में गुजार दी , उस घर में मेरे नाम की तख्ती तलक नहीं !
बहुत देर करदी तुमने मेरी धडकनें महसूस करने में. वो दिल नीलाम हो गया, जिस पर कभी हकुमत तुम्हारी थी.
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का फ़ैसला।। तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
खवाब टूटे मगर हौसले जिंदा है । हम वो है जहाँ मुश्किले भी शर्मिंदा हैं ।
पता नहीं कैसी नजर लगी जमाने की साली अब कोई वजह नहीं बनती मुस्कुराने की!!!
Tujhko Socha to bahot Par likha kam Maine, Ke Teri Tareef Ke Qaabil Mere Alfaz Kahan..
जाने कब आँख लगी, यादों के दीये जलते रहे, रोशनी घुलती रही, ख्वाबों में तेरी महक आई है !
इतनी उदास न हो, ऐ जिन्दगी खोते वही हैं, जो कुछ पाने की तमन्ना रखते हैं.
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