गुज़र रहा हूँ तेरे शहर से क्या कहूँ क्या गुज़र रही है.
Dil lagi na ho jaye kisi say ye khayal rakhna … Tanha din to guzar jata hay lekan raatein maar Continue Reading..
असल मे वही जीवन की चाल समझता है जो सफर की धुल को भी गुलाल समझता है
तलाश कर मेरी कमी को अपने दिल में एक बार; दर्द हो तो समझ लेना मोहब्बत अभी बाकी है!
तुम तो मुझे रुलाकर दूर चले गये.. मै किससे पूछूँ मेरी खता क्या है..
वफ़ा का तो वजूद ही नहीँ रहा यारो किस्से भी उन्ही के हैं जो बेवफा हैं।
मेला लग जायेगा उस दिन शमशान मे, जिस दिन मे चला जाँऊगा आसमान मे
उसको भूल जाने की कसम तो खाता हूँ मैं, फिर टपक पड़ते है आँसूं और कसम टूट जाती है !!
मैं सिर्फ तेरा साथ निभाने के लिए जिंदा हूं सांसे रुक गई हैं धडकने सुनाने के लिए जिंदा हूं
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