बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे, बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.
दुआ का यूँ तो कोई रंग नहीं होता मगर दुआ रंग जरुर लाती है
इक झलक जो मुझे आज तेरी मिल गयी मुझे फिर से आज जीने की वजह मिल गयी
Meherbani na sahi ek zakhm hi de de, Mehsus to ho koi mujhe bhula nai ab tak
अगर बेवफाओं की अलग ही दुनिया होती तो, मेरे वाली…कमीनी…वहाँ की रानी होती
तुम से जिद करते तो हम मांगते क्या…! खुद से जिद करके तो तुमको मांगा था.
अक्सर वक्त पडने पर वो ही साथ छोडते है… जिनपर सबसे ज्यादा भरोसा होता h
ये शहर आजकल वीरान पड़ा है, सुनने में आया है कि, उनकी पायल खो गयी है।
कुछ फैसलो का क्या बताये हाल । दूसरो की ख़ुशी की कीमत अपने आंसुओ से चुकानी पड़ती है ।
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