बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे, बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.
~Terii Be’Rukhi Ka Anjaam Ek Din Yehii Hoga, Aakhiir Bhula Hii Denge Tujhe Yaad Karte Kartey .. ‘
सुनो, उसको बता देना की जो उस पर मरती थी न वो मर गयी है
कुछ फैसलो का क्या बताये हाल । दूसरो की ख़ुशी की कीमत अपने आंसुओ से चुकानी पड़ती है ।
तुम चलो तो ये ज़मीं साथ दे ये आसमान साथ दे हम चले तो साया भी साथ ना दे
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने भला कैसे कह दूं कि “माँ” अनपढ़ है मेरी।।
माँ ने रख दी आखिरी रोटी भी मेरी थाली में मै पागल फिर भी खुदा की तलाश करता हूँ !
उसे किस्मत समझ कर गले से लगाया था हमने, पर भूल गए थे हम किस्मत बदलते देर नही लगती
Aa kuch likhdu tere bare meIN, Tu bhi dhundhti hogi khud ko mere Lafzon meIN
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