Preet Singh Leave a comment खोल के बैठा था मैं दूकान इश्क की … गौर फरमाइएगा .. खोल के बैठा था मैं दूकान इश्क की .. आंदी जांदी छोरियां तै आंख मांरू था पर भाई ये साले दुनिया वाले … रोंडी पिंवैं … मैं छेत गेरया … उन छोरियां तै दिखाण खात्तर .. Copy