खोल के बैठा था मैं दूकान इश्क की …
गौर फरमाइएगा ..
खोल के बैठा था मैं दूकान इश्क की ..
आंदी जांदी छोरियां तै आंख मांरू था
पर भाई ये साले दुनिया वाले … रोंडी पिंवैं … मैं छेत गेरया … उन छोरियां तै दिखाण खात्तर ..
Related Posts
पड़ोस मैं एक भाभी दिल्ली की स। आज तड़के 7 बजे म्हारै घर आयी, मैने दरवाजा खोला तो वो बोली:- Continue Reading..
दिल्ली में प्रदूषण का कारण हरियाणा के जाट सं जो हुक्के का धुमा दिल्ली कण मुंह करके छोड़े सं
नब्बे दिन छुटके नब्बे दिन नवम्बर दिसम्बर जनवरी … नहाना मतलब मौत को दावत देना … फरवरी … एक महीना Continue Reading..
पंजाब नैशनल बैंक गया था … मन्नै पूछ लिया :- भाई या अठ्ठनी का पैन रस्सी गैल्यां क्यांतै बांध राख्या Continue Reading..
हरयाणे का एक गिट्ठा सा छोरा दिल्ली बस मैं जा था भीड़ घणी थी खड़े नै धक्के लागैं थे उपर Continue Reading..
छोरी :- या लिपस्टिक कितने की है …? दुकानदार :- सतरां रुपए की , छोरी :- ओ माई गॉड सैवन्टी Continue Reading..
आज वो छोरी… रास्ते मे गोबर थापती दिखी….. जिसने अपनी फेसबुक प्रोफाईल मे लिख रखा है ” I don’t Continue Reading..
म्हारे ताऊ नै चाला कर राख्या आज तो , न्यू कवै पांया कान्नि तै जाड्डा चढ़ै … धोती गैंल्यां अपणै Continue Reading..