में किसी ओर का नहीं हु फिलहाल
.. कोई तो मेरी हो जाओ
उसके चले जाने के बाद हम महोबत नहीं करते किसी से, छोटी सी जिन्दगी है किस किस को अजमाते रहेंगे|
हजारों अश्क़ मेरी आँखों की हिरासत में थे, फिर उसकी याद आई और इन्हें जमानत मिल गई
दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही!!
वो किताबों में दर्ज था ही नहीं, सिखाया जो सबक ज़िंदगी ने !!
Wo ‘mili bhi to sirf khuda ke darbaar mein, Ab tum hi batao yaaron hum ‘ibaadat karte ya mohabbat’.
Pehla sver ton shaam tak kise di wait karo Te jisdi wait krde oho 2 mint gall karke fer offline Continue Reading..
डब्बे मे डब्बा डब्बे मे ब्रश उसकी ठरकी ज़िंदगी है , हर हफ्ते नया क्रश
हिसाब बराबर करने का बड़ा शौक़ रखते हो न तुम….. देखो मैंने याद किया है तुम्हें,लो अब तुम्हारी बारी।।
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