रीति रिवाज के अनुसार पुत्र या सगे-संबंधी ही चिता को आग लगाते हैं।

हमारे यहाँ रावण को आग लगाने का दायित्व “नेताजी और अफसरों” के पास है।

आखिर संस्कृति भी कोई चीज है।


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