कितना समेटे खुद को बार बार, टूट के बिखरने की भी सीमा होती है ||
Aap kahte the ke rone se na badleinge naseeb, Umer bhar aapki is baat ne rone na diya…
अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की, तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं
नहीं मिलेगा तुझे कोई हम सा, जा इजाजत है ज़माना आजमा ले.
पुछा उसने -मुझे, कितना प्यार करते है? मै चुप रहा यारो क्योकि, मुझे तारो की गिनती नही आती..
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है।
ऐसा तो नहीं कि ये ज़िन्दगी हमको प्यारी नहीं,. वो अलग बात है कि तुम्हारे बिना ये हमारी नहीं….
उसके चले जाने के बाद हम महोबत नहीं करते किसी से, छोटी सी जिन्दगी है किस किस को अजमाते रहेंगे|
Hum Matlabi nahi ki Chahne walo ko dokha dein.. Bas humein samajhna har kisi ke bas ki baat nahi.
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