“मंजिल” भी उसकी थी.. “रास्ता” भी उसका था..
एक मैं “अकेला” थी बाकी “काफिला” भी उसका था..
.. 😐😐
साथ-साथ “चलने” की सोच भी उसकी थी..
फ़िर “रास्ता” बदलने का “फ़ैसला” भी उसका था..
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तुम्हारे बाद मेरा कौन बनेगा हमदर्द, मैंने अपने भी खो दिए, तुझे पाने की ज़िद में….. !!
-Mein Qabiil’E-Nafrat Hoon To Chhod, Do Mujh Ko Magar Yoon Mujhse, Dikhawe Ki Mohabbat Na Kiya Karo .. ‘
उसे लगता है की उसकी चालाकियाँ मुझे समझ नही आती मै बड़ी खामोशी से देखता हु उसको अपनी नजर से Continue Reading..
तरस खाओ तो बस …. इतना बताओ हमदम ….. वफा नहीं आती या तुमसे की नहीं जाती ….!!
काश कभी ऐसा भी हुआ होता, मेरी *कमी* ने तुझे *उदास* किया होता …
ये मेरी शायरी ने भी कमाल कर दिया, आज शायरी सुनके उसने मुझसे कहा … मेरी जान ले लो मगर Continue Reading..
अजीब ज़ुल्म करती हैं तेरे यादें मुझ पर सो जायूं तो उठा देती हैं उठ जायूं तो रुला देती हैं
ना प्यार कम हुआ है ना ही प्यार का अहेसास, बस उसके बिना जिन्दगी काटने की आदत हो गई है Continue Reading..