है एक शख़्स ऐसा भी, जो किश्तों में मार रहा है मुझे !!
चलो मंजूर है तेरी बेरुखी मुझको बस इतना करो कि बेवफा मत होना
~Jiski Sazza Sirf Tum Ho Aiisa Koii Gunaah Karna Hai Mujhe .. ‘
सब मशरूफ थे नया साल मनाने में मैंने मेरी रूठी खुशियों को मना लिया..
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी.
~Zyada Kuch Naii Badla Haiin Tere Mere Beech Mein, Pehle Nafrat Na Thi Ab Pyar Nahii Haii .. ‘
~Tumko De Di Hai Isharoo’N Mein Ijaazat Maine, Maang’Ne Se Na Miloo’N Agar Toh Chura Lo Mujhko ..’
मीठी यादों के साथ गिर रहा था, पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था.
~Be’Bass Kar Diya Tu Ney Mujhey, Apney Bass Meiin Karke .. ‘
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *