है एक शख़्स ऐसा भी, जो किश्तों में मार रहा है मुझे !!
एम्बुलेंस सा हो गया है ये जिस्म, सारा दिन घायल दिल को लिये फिरता है।
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो, मुझे भी अपनी जिद्द बना लो.!!
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी
~Aaj Ki Shaam Bhii Qayamat Kii Tarha Guzrii, Na’Jane Kya Baat Thii Har Baat Pe Tum Yaad Ay .. ‘
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
छोटा सा सपना है मेरा, जो रोटी में खाऊ वो तू बनाये..
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहती ।।
मोहब्बत सिर्फ मोहब्बत चाहती है, किसीकी महेरबानी नहीं !!
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