हमने भी अब ठान लिया है, तुम दर्द दो और हम मुस्कुराएंगे !!
शिकवे तो बहुत है,मगर शिकायत नही कर सकते…!! मेरे होंठों को इजाजत नही है,तेरे खिलाफ बोलने कि !
असल मे वही जीवन की चाल समझता है जो सफर की धुल को भी गुलाल समझता है
बहुत जुदा है औरो से मेरे दर्द की कहानी. जख्म का कोई निशाँ नहीँ और दर्द की कोई इँतहा नही.
हर बार किस्मत को दोष देना अच्छी बात नही कभी-कभी हम भी हद से ज्यादा माँग लेते है
हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं, हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर…
कोई नहीं बचाकर रखना चाहता है यादें जान से प्यारे खत बेरुखी से जलने लगे हैं !!
लब ये कहते हैं कि चलो अब मुस्कुराया जाये, सोचती हैं आखे, दिल से दगा कैसे किया जाये?
रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद! हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ Continue Reading..
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