छोटा सा सपना है मेरा, जो रोटी में खाऊ वो तू बनाये..
दर्द आवाज छीन लेता है ओर खामोशी की कोई वजह नही होती
वो बड़े घर की थी साहब, . छोटे से दिल में कैसे रहती.
मुझे रिश्तो की लंबी कतारोँ से मतलब नही , कोई दिल से हो मेरा, तो एक शख्स ही काफी है..।
छोड़ना आसान होता है लेकिन भूलना नही
एम्बुलेंस सा हो गया है ये जिस्म, सारा दिन घायल दिल को लिये फिरता है।
मिट जाते है औरों को मिटाने वाले . लाश कहा रोती है, रोते है जलाने वाले
Ladki hai wo, Alarm nahi Pyaar karo usse, set nahi.
अगर में कहुँ उदास हु तुम बिन तो तुम लौट आओगी ना
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