सोचा था आज कुछ तेरे सिवा सोचूँ तब से सोच में हूँ कि और क्या सोचूँ
बचपन में भरी दुपहरी नाप आते थे पूरा महोल्ला, 💗जब से डिग्रियाँ समझ में आई, पाँव जलने लगे
अपनों की चाहत मे मिलावट थी इस कदर. मैं तंग आकर दुश्मनों को मनाने निकल गया..
भूखा पेट,खाली जेब और झूठा प्रेम इन्सान को जीवन मे बहुत कुछ सिखा जाता है
सोच रहा हूँ कुछ ऐसा लिखू की वो पढ़ के रोये भी ना और रातभर सोये भी ना..|• manjeet kherki….
सारी उम्र बस एक ही सबक* याद रखना, दोस्ती और “दुवा”* में बस नियत साफ़ रखना.
Maine Uss Shakhs Ko Kabhi Hasil He Nahi Kiya…. Phir B Har Lamha Lagta Ha Maine Use Kho Diya….!!
वो तो हम जैसे शायरों ने लफ़्ज़ों सेसजा रखा है… वरना मोहब्बत इतनी भी हसीं नहीँ होती…
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग..
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