एक छोटी पेंसिल एक विशाल याद्दाश्त से कहीं बेहतर है
छोटा सा सपना है मेरा, जो रोटी में खाऊ वो तू बनाये..
हम जो तेरे बगैर ज़िंदा है, सब दिखावा है दुनिया के लिए !!
अब तेरी याद के साथ मेरा हरपल ख़ास है, तू पास नहीं है इसलिए दिल थोडा उदास है
कट रही है ज़िंदगी रोते हुए, और वो भी तुम्हारे होते हुए…
सुख मेरा, काँच सा था.. ना जाने कितनों को चुभ गया..!!
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलतें हैं
एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों, जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…
~Jiski Sazza Sirf Tum Ho Aiisa Koii Gunaah Karna Hai Mujhe .. ‘
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