मोहब्बत हो या काला धन….. छुपाकर रखोगें तो नुकसान खुद का ही है..
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है। वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।।
Mat puchh kaise guzar rahi hai zindagi, Us daur se guzar rahi hu jo guzarta hi nahi
बड़ी चालाक होती है जिंदगी हमारी रोज़ नया कल देकर, उम्र छीनती रहती है
यूं तो लग जाती है बद्दुआ भी किसी की, वक्त रहते दुआ मांग कर देखिए जरा
ऐ चाँद तू किस मजहब का है . ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
हाथ मे बस एक ‘बासुँरी’ कि कमी है वरना, गोपिया हमने भी कई ‘फसाई’ है..!!
जब भी देखती है मुझे, नज़रें झुका लेती है वो, खुदा का शुक्र है, हमें पहचान तो लेती है वो।
” मेरी हस्ती को तुम क्या पहचानोगे, हजारो मशहूर हो गए मुझे बदनाम करते करते ” l
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