मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है, उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया…
आप अगर चाहो तो पूछ लिया करो खैरियत हमारी… कुछ हक़ दिए नहीं जाते ले लिए जाते हैं।।
शायरी शौक नही, और नाही कारोबार है मेरा, बस दर्द जब सह नही पाता, तो लिख देता हूँ
खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की … आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है…
Apni halat ka khud ehsaas nahi h mujhko maine auro se suna hai ki pareshan hu mein.
: एक वक़्त था जब हम सोचते थे कि हमारा भी वक़्त आएगा , …. और एक ये वक़्त है Continue Reading..
सामान बाँध लिया है मैंने भी अब बताओ दोस्त 😥, वो लोग कहाँ रहते है जो कहीं के नहीं रहते।
जिंदगी सफ़र पर निकल चुकी है… मंजिल कब मिलेगी तू ही बता ये मेरे खुदा..!
में खुश हूँ कि उसकी नफरत का अकेला वारिस हूँ वरना मोहब्बत तो उसे कई लोगो से है…..
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