बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे, बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.
बहुत सोचा, बहुत समझा, बहुत देर तक परखा, तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से बेहतर है
होने वाले ख़ुद ही अपने हो जाते हैं.. किसी को कहकर, अपना बनाया नही जाता..!!
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी, फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं
मै नही जानता मै क्यो लिखता हूँ, बस ये खाली कागज मुझसे देखे नही जाते
Dil To Kia Cheez Hai Hum Rooh Mien Otrey Hote… Tumne Chaha He Nahin Chahney Walon Ki Tarah….
तकलीफ कि इन्तेहा तो तब है, जब लोग जिंदा रहे और रिश्ते मर जाये…
हम जिस्म को नही रूह को वश मे करने का शोक रखते है
बहुत मुस्कुरा रहे हो जनाब, लगता है तुम्हारा इश्क अभी नया नया है ।
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *