सोया रहा नसीब एक अरसे तक, जागने पर जरूरत सी खत्म हो गई अब
~Hasrat’E-Deedar Bhii Kya Cheez Hyy, Wo Samne Aye To Musalsal Dekha Bhi Nahi Jata .. ‘
इश्क के तोहफे, तुम क्या जानो सनम, तुमने तो इश्क भी ऐसे किया, जैसे ख़रीदा हो
~Ab Toh Bas Jaan Dene Ki Baari Haii, Meiin Kaha Tak Saabit Karu Mujh Meiin Bhii Waffa Haii .. ‘
सिलसिला ये चाहत का दोनो तरफ से था, वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे
ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें . महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह
बेवफाई तो सभी कर लेते है जानेमन , तू तो समझदार थी कुछ तो नया करती
-Koii Toh Aiisa Ho Jo Siirf Mera Ho .. ‘
~Meiin Tumharii Woh Yaad Hoon, Jisey Tum Aksar Bhool Jatey Ho ..’
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