अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दो,
कोई शिकायत होगी भी तो कह नहीं पाउँगा..!!



मैं रोज अपने खून का दिया जलाऊँगा,
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता

मैं रोज अपने खून का दिया जलाऊँगा,
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता

बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने मुझे,
अब ना किसी को खोने का डर, ना पाने की चाहत।


फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हैं

वही मौसम, वही सर्दी, वही दिलकश ‘जनवरी’ है !!

वक्त सिखा देता है इंसान को फलसफा जिंदगी का..!!

फिर तो नसीब क्या .. लकीर क्या … और तकदीर क्या ?


वक्त सिखा देता है इंसान को फलसफा जिंदगी का..!!

फिर तो नसीब क्या .. लकीर क्या … और तकदीर क्या ?


सारी ज़िंदगी रखा है बे-वफ़ा रिश्तों का भरम___!!
सच पूछो तो कोई भी अपने “सिवा अपना” न था____!!!

उनकी गलियो से गुजरना तो बहुत आम था…
बहाना भी एक कि कोई बेहद जरुरी काम था…


अगर कोई आप पर आँख बंद करके भरोसा करे तो
आप उसे ये एहसास मत दिलाओ कि वह सच मे अंधा है


उपलब्यधियाँ और आलोचनाएँ एक दुसरे की मित्र है
उपलब्यधियाँ बढेगी तो निशचित ही आपकी आलोचनाएँ भी बढेगी

हर बार किस्मत को दोष देना अच्छी बात नही
कभी-कभी हम भी हद से ज्यादा माँग लेते है


जो बिना ठोकर खाए मजिँल तक पहुच जाते है
उनके हाथ अनुभव से खाली रह जाते है

समय,सेहत और साथी मिलते तो मुफ्त मेँ है
पर इनकी कीमत तभी पता चलती है जब ये कही खो जाते है

दुसरो की सफलता को देखकर जले नही
क्योकि जलते तो वो लोग है जो मर जाते है