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तकदीर के लिखे पर कभी शिकवा ना करना
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ए इन्सान
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तु इतना अकलमन्द नही के रब के इरादे समझ सके ණ™



शिकायत मौत से नही
अपनो से थी मुझे,
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जरा सी आँख क्या बन्द हुई
कबर खोदने लगे ණ

तु बेशक अपनी महफिल मे हमे बदनाम करती है,
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पर तुझे अनदाजा भी नही है कि
वो लोग भी पैर छुते है मेरे,
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जिन्हे तु भरी महफिल मे झुक के सलाम करती है ණ

क्यो डरेँ कि जिन्दगी मे कल क्या होगा,
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हर वक्त क्यो सोचे कि कुछ बुरा होगा,
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बढते रहो मंजिलो कि ओर हमेशा
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कुछ ना मिला तो क्या हुआ “तजुर्बा” तो नया होगा !


अपनी कीमत उतनी रखिए,
जो अदा हो सके …
अगर अनमोल हो गए तो,
तन्हा हो जाओगे ….

खेल ताश का हो या ज़िन्दगी का,
अपना इक्का तभी दिखाना जब सामने
वाला बादशाह निकाले ..


मुकाम वो चाहिए मुझे, की जिस दिन भी हारु ,
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उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो


दुनियादारी में हम थोड़े कच्चे हैं पर दोस्ती के
मामले में सच्चे है…
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हमारी सच्चाई बस इस बात
पर कायम है,
कि हमारे दोस्त हमसे भी अच्छे है…

ऐ-दिल ज़रा मालूम तो कर,कहीं वो तो नहीं आ रहें
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महफिल में उठा हैं शोर माशाअल्लाह-माशाअल्लाह


इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है,
इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरा ईमान है,
इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी,
पर दोस्ती पर, मेरा इश्क भी कुर्बान है


बैठे बैठे ज़िन्दगी बरबाद ना की जिए,
ज़िन्दगी मिलती है कुछ कर दिखाने के लिए,
रोके अगर आसमान हमारे रस्ते को,
तो तैयार हो जाओ आसमान झुकाने के लिए

जिनकी नजरो में हम नहीं अच्छे ,
कुछ तो वो लोग भी बुरे होंगे ।।
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता…
तुम्हारे फर्क पड़ने से..


मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको,
हुमारा ये पेघाम हैं,
“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”

Cho0r Diya Hai Sabk0 Bina Waja Tang Karna
Ae D0st
Jab K0i Apna Samjta Hi Nahi T0 Yaad DiLa
Kar Kia Karna.

ਜਿਂਦਗੀ ਤੇ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਗਵਾਇਆ ਤੇ ਬਹੁਤ ਕੁਝ
ਕਮਾਇਆ।
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ਕੁਝ ਮਾਂ ਨੇ ਸਮਝਾਇਆ ਤੇ ਕੁਝ ਧੋਖਿਆਂ ਨੇ
ਸਿਖਾਇਆ