मोह्ह्ब्ब्त की कहानी को मुकम्म्ल नही कर पाये…
अधूरा था जो किस्सा अधूरा ही छोड आये
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अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया ..
तेरा प्यार चाहिये था, एहसान नही
वो ना ही मिलते तो अच्छा था…
बेकार में मोह्हबत से नफ़रत हो गयी
पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी …
हम यारो के तोहफ़े कभी ठुकराया नही करते
मेरी बरबादियों में तेरा हाथ है मगर…….
में सबसे कह रहा हूँ ये मुकद्दर की बात है…
मेरी बरबादियों में तेरा हाथ है मगर…….
में सबसे कह रहा हूँ ये मुकद्दर की बात है…
रखते थे जो मरने कि बात पे मेरे होठों पे उगंलीया
अफसोस वही मेरे कातिल निकले
तु मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है..
”सुकुन” बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर
वक़्त भी लेता है करवटे ना जाने क्या क्या …
उमर इतनी तो नही थी जितने सबक सीख लिये हमने
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो……….
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो…….
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना …….
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो……….
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो…….
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना …….
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो
मेरा कुछ ना ऊखाड सकोगे तुम मुझसे दुश्मनी करके….
मुझे बर्बाद करना चाहते हो तो,मुझसे मोहब्बत कर लो
अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है..
माना के सारे झूठ तेरे थे..
लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था
मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे ..
फिर भीमैं चलता रहा क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे
खेलने दो उन्हें जब तक जी न भर जाए उनका.,…,
मोहब्बत 4 दिन की थी तो शौक कितने दिन का होगा…….?
यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे,
के इतने खुबसूरत होंठ झूठ कैसे बोलेंगे.