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“कोई हालात को नहीं समझता,
तो कोई जज़्बात को नहीं समझता…..
ये तो बस अपनी – अपनी समझ है….
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता