तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे? दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों, जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है…
एक छोटी पेंसिल एक विशाल याद्दाश्त से कहीं बेहतर है
कट रही है ज़िंदगी रोते हुए, और वो भी तुम्हारे होते हुए…
शाख से फूल तोड़कर मैंने सीखा.. अच्छा होना गुनाह है, इस जहाँ में..!!
~Izhar’E-Ishq Me Aiisa Hua Kuch Wo, Dil Ka Haqdaar To Hua Lekin Mera Naa Hua .. ‘
~Jaley Ka Ilaaz Burnol Se .. Jealousy Ka Ilaaz Chitrol Se .. ^
जितनी हसीन ये मुलाकातें है उससे भी प्यारी तेरी बातें है
मै और मेरा रब्ब रोज भूल जाते है वह मेरे गुनाहो को मै उसकी रहमतो को
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