~Jiski Sazza Sirf Tum Ho Aiisa Koii Gunaah Karna Hai Mujhe .. ‘
बहुत देर तक मेरे साथ रहा करती है…. ये जो ख़ामोशी है न तेरी…. बहुत कुछ कहा करती है….!!
ना कर शक मेरी मोहब्बत पर ऐ पगली…. . अगर सबूत देने पर आया तो तू बदना हो जायेगी…
बंजर नहीं हूँ मैं मुझमें बहुत सी नमी है,,,, आँखे बयाँ नही करती बस इतनी सी कमी है!!!
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना … बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना
अपनी पहचान का तुझसे हवाला चाहु कितना पागल हूँ जो अँधेरे से उजाला चाहु
मेरी पागल सी महोब्बत उस पल याद आएगी जब हँसाने वाले कम रुलाने वाले ज्यादा होंगे
Tumhari Khusbu Se Mehakti Hai Wo Gazle Bhi, Jinme Likhti Hu Mai “Ki Tumhe Bhul Gai Hu.”
पहचान ना पाया तेरी हकीक़त को वक्त रहते। ये मेरी मोहब्बत थी या तेरे झुठ बोलने का हुनर
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