शाम से आँख में नमी सी है, आज फिर आपकी कमी सी है,
~Hasrat’E-Deedar Bhii Kya Cheez Hyy, Wo Samne Aye To Musalsal Dekha Bhi Nahi Jata .. ‘
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
सोचता हूँ बेच डालूं …. मेरे सब उसूल अब पुराने हो गए हैं !!
त्यौहारों के बहाने ही सही, रिश्ते तो घर लौट आते है…
Emotional अत्याचार… Add करने के बाद Unfriend कर देना…
मै और मेरा रब्ब रोज भूल जाते है वह मेरे गुनाहो को मै उसकी रहमतो को
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा , लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते !!”
मुझे महोब्बत है तेरे मन से.. न तेरी खूबसूरती से न लिबास से..
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