काग़ज़ पे तो अदालत चलती है.. हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये।
तेरी तलाश में निकलु भी तो क्या फायदा, तु बदल गया हैं ,खोया नही हैं ।
~Nahi Haii Meri Fitrat Mein Yeh Adaat, Warna Teri Tarah Badlna Mujhe Bhii Aata Haii .. ‘
मिट जाते है औरों को मिटाने वाले . लाश कहा रोती है, रोते है जलाने वाले
सोचता हूँ बेच डालूं …. मेरे सब उसूल अब पुराने हो गए हैं !!
अगर में कहुँ उदास हु तुम बिन तो तुम लौट आओगी ना
अंत में लिखी है दोनों की बर्बादी, आशिक़ हो या हो आतंकवादी.
~Chalo Accha Hua Ke Dhund Parney Lagi, Warna Dur Tak Takti Thi Niighein Raah Terii .. ‘
~Suno Tum Badl Gy Ho Kya Ya Tum Theyy Hi Aiise .. ‘
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