शाख से फूल तोड़कर मैंने सीखा.. अच्छा होना गुनाह है, इस जहाँ में..!!
मैं बुरा हूँ तो बुरा ही सही… …. कम से कम “शराफत” का दिखावा तो नहीं करता
लोग आँसुओं मे पढ़ते थे नाम तेरा.. इसीलिए हमने रोना छोड़ दिया.. :)) –
त्यौहारों के बहाने ही सही, रिश्ते तो घर लौट आते है…
~Be’Bass Kar Diya Tu Ney Mujhey, Apney Bass Meiin Karke .. ‘
Ek tera noor hi kaafi h.. Sare jhaa ki roshni k liye
सोचता हूँ बेच डालूं …. मेरे सब उसूल अब पुराने हो गए हैं !!
मेरे साथ बैठ कर वक़्त भी रोया एक दिन बोला बन्दा तू ठीक है मैं ही ख़राब चल रहा हूँ
तुम जिंदगी की वो कमी हो , जो जिंदगी भर रहेगी !!!
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