लोगो के तो दिन आते है पर . हमारा तो जमाना आएगा
ना तुझको खबर हुई ना ज़माना समझ सका, हम तुझ पर, चुपके-चुपके से कई बार मर गये..
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान … वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा
रखते थे जो मरने कि बात पे मेरे होठों पे उगंलीया अफसोस वही मेरे कातिल निकले
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का, कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो। Continue Reading..
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे, और दफनाने वाले भी अपने थे.
नहीं जानता हमें, कोई अपने शहर में,. अंजान लोगों में, काफी मशहूर हैं हम……
Ye jO hum bOlty nhi hain na .. Ye asal men ,tmhen, sunaty hain”
हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे. छीले इतने गए कि “खंज़र ” हो गए….
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